हैप्पी बर्थडे दिलीप कुमार : कभी कैंटीन में काम करते थे , फिर एक दिन बदल गई किस्मत
दिलीप कुमार को कौन नहीं जानता अपनी बेहतरीन अदाकारी के दम पर लोगो के दिलो पर राज करने वाले दिलीप कुमार को ट्रेजडी किंग कहा जाता है । अपनी बेहतरीन अदाकारी से दिलीप कुमार ने हिन्दी फिल्मो में देवदास जैसे कई दुखद किरदारो को अमर कर दिया । फिल्म ज्वार भाटा से डेब्यू करने वाले दिलीप कुमार आज 95 बरस के हो गये है । तो आइये जानते है उनके बारे में कुछ खास बातें —
पिता जी का था फल बेचने का कारोबार
1938 में दिलीप साहब का परिवार पेशावर से पुणे के पास देवाली रहने आ गया था ।जहां दिलीप साहब के वालिद लाला गुलाम सरवर ने फल बेचने का कारोबार किया । । जिससे घर का खर्चा चलता था । इसके बाद 1942 में वे मुम्बई शिफ्ट हो गये ।
कैंटीन में काम करना पड़ा
1942 में पिता को फल के कारोबार में जबर्दस्त घाटा हुआ । जिसके चलते दिलीप साहब को पुणे की एक कैंटीन में काम करना पड़ा । इस कैंटीन में उन्होने 7 महीने तक नौकरी की । कहते है दिलीप कुमार की किस्मत कैटीन में काम करते वक्त ही बदल गई थी ।
युसूफ था बचपन का नाम
दिलीप कुमार का बचपन का नाम मोहम्मद युसूफ खान था । दिलीप कुमार इनका फिल्मी नाम था जो अभिनेत्री और बॉम्बे टॉकीज पिक्चर की मैनेजर देविका रानी ने रखा था । युसूफ बचपन में फुटबाल के अच्छे खिलाड़ी भी थे ।
ऐसे मिला फिल्म में काम करने का प्रस्ताव
एक बार कैंटीन में काम करते वक्त उस दौर की अभिनेत्री देविका की नज़र दिलीप कुमार पर पड़ी । दिलीप कुमार की स्मार्टनेस को देखकर उन्होने फिल्मो में काम करने का प्रस्ताव दिया । लेकिन दिलीप कुमार ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया । इसकी वजह यह थी कि दिलीप साहब को फिल्मो में कोई रूचि नहीं थी । लेकिन इससे भी बड़ी वजह थी उनके वालिद साहब , जो फिल्मो के सख्त खिलाफ थे ।
देविका रानी ने दिलीप कुमार को बेहद समझाया, लेकिन दिलीप साहब एक्टर बनने के लिए राजी नहीं हुए । वह फिल्मो में काम करने को इस शर्ते पर राजी हुये की वो एक्टिंग नहीं करेंगें बल्कि बतौर राइटर काम करेंगें । आखिर में देविका रानी ने उन्हे एक हजार रूपए हर महीने की तनख्वाह का ऑफ़र दिया। एक हजार रूपए उन दिनों काफ़ी मायने रखते थे । इस तन्ख्वाह की वजह से दिलीप साहब ने फ़िल्मों में एक्टिंग करना मंजूर कर लिया ।
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