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बॉलीवुड की वो महान फिल्म जिसका निर्माण करने में लग गया था 16 साल का समय



किसी भी फिल्म के निर्माण का काम आमतौर पर 6 महीने से लेकर एक साल में पूरा हो जाता है । कई बार इसे पूरा करने में एक साल से 2 साल तक का वक्त भी लग जाता है । वैसे फिल्म निर्माता चाहते है की उनकी फिल्म के निर्माण का काम जल्द से जल्द पूरा हो जाये क्यूकिं अगर समय बढता है तो इससे फिल्म का बजट भी बढने लगता है । लेकिन क्या आप कल्पना कर सकते है की किसी फिल्म को बनाने में डेढ दशक से भी ज्यादा समय लग सकता है । इतना समय की फिल्म के चाइल्ड कलाकार भी बड़े हो जायें ।


उत्तर प्रदेश के इटावा में जन्मे के. आसिफ का नाम फिल्म निर्देशन की दुनिया में अमर है । महज आठवी कक्षा तक पढे कमरूद्दी आसिफ ही वो डारेक्टर है जिन्होने 16 साल सिर्फ एक ही फिल्म के निर्माण में लगा दिये थे । लेकिन यह फिल्म कोई आम फिल्म नहीं थी भारतीय इतिहास की बेहद भव्य और सफलतम फिल्मो में शुमार इस फिल्म का नाम है मुगले आजम ।



बताते हैं कि के. आसिफ को इस फिल्म का आइडिया 1944 में आया था । तब वो इस फिल्म का निर्माण उस समय के बेहद मशूहर एक्टर चन्द्र मोहन और डी के सप्रू को लेकर बनाना चाहते थे फिल्म की शूटिंग अभी शूरू ही हुई थी की 1946 में पार्टिशन की वजह से शूटिंग को रोकना पड़ा फिल्म की कास्ट इधर से उधर हो गई । और फिर 1950 में फिल्म का निर्माण नये सिरे से करना पड़ा ।


के. आसिफ इस फिल्मो को बहुत बड़ा बनाना चाहते थे इस्लिये उन्हे फिल्म का निर्माण पूरा करने की कोई जल्दी नहीं थी । फिल्म से जुड़े कई ऐसे किस्से है जो साबित करते है की के. आसिफ सिर्फ फिल्म नहीं बना रहे थे बल्कि वो एक ऐसी फिल्म बनाना चाह रहे थे जो सदा के लिये अमर हो जाये ।


कहा जाता है की इस फिल्म में अकबर के रोल के लिए आसिफ उस वक्त के मशहूर अभिनेता चंद्रमोहन को लेना चाहते थे । पर चंद्रमोहन आसिफ के साथ काम करने के लिए तैयार नहीं थे । आसिफ को उनकी आंखें पसंद थीं ,और उन्होने चन्द्रमोहन से कह दिया था कि मैं दस साल इंतजार करूंगा पर फिल्म तो आपके साथ ही बनाऊंगा । पर कुछ समय बाद एक सड़क हादसे में चंद्रमोहन की आंखें ही चली गईं ।


संगीतकार नौशाद फिल्म में सलीम और अनारकली के प्रणय सीन लिए बड़े गुलाम अली साहब की आवाज़ चाहते थे, लेकिन गुलाम अली साहब ने ये कहकर मना कर दिया कि वो फिल्मों के लिए नहीं गाते । मगर आसिफ साहब बेहद जिद्दी इंसान थे वे ज़िद पर अड़ गए कि गाना तो उनकी ही आवाज में रिकॉर्ड होगा । उनको मना करने के लिए गुलाम साहब ने कह दिया कि वो एक गाने के 25000 रुपये लेंगे । ये वो दोर था जब लता मंगेशकर और रफ़ी जैसे गायकों को भी एक गाना गाने के लिए 300 से 400 रुपये मिलते थे । आसिफ साहब ने उन्हें कहा कि गुलाम साहब आप बेशकीमती हैं ,ये लीजिये 10000 रुपये एडवांस । अब गुलाम अली साहब के पास कोई बहाना नहीं था ।


फिल्म का निर्माण इतना लम्बा चला की फिल्म खुद आसिफ साहब भी सिर से लेकर पैर तक कर्जे में डूब गये थे । फिल्म के एक निर्माता मोहम्मद अली जिन्ना के रिश्तेदार थे उन्होंने जिन्ना का एक घर टाटा के यहां गिरवी तक रख दिया था ।


5 अगस्त 1960 को रिलिज हुई इस फिल्मो को उस वक्त बनाने में 1.5 करोड़ की लागत आई थी । जब कि उस समय 5 से 10 लाख रूपये में फिल्म का निर्माण हो जाता था ।

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