राजेदारो के लिए खुदा का इनाम है ईद उल फितर
रमजान के पवित्र महीने की इबादतों और रोजे के बाद जलवा अफरोज ईद-उल फितर खुदा का इनाम है, यह खुशखबरी की महक और खुशियों का गुलदस्ता है। तभी तो ईद का चांद नज़र आने के बाद माहौल बेहद खुशनुमा हो जाता है चारो तरफ एक गज़ब का उल्लास छा जाता है. लोग बाग अमीर, गरीब, छोटा व बड़ा का भेदभाव भुलाकर एक दूसरे के गले मिलते हैं। ईद का शाब्दिक अर्थ खुशी होता है जो अपने अर्थ को इस दिन सार्थक करता नजर आता है।
ईद—उल—फितर में फितर से मतलब फितरे से है. ईद के दिन नमाज से पहले सभी मुस्लिम फितरा अदा करते हैं। जकात भी निकालते हैं। फितरे का अर्थ है कि सुबह-सवेरे निर्धन एवं फकीरों को पैसे की शक्ल में फितरे की रकम देना।
ईद का महत्व हमें पैगंबर हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) से समझना चाहिए वे बड़ी सादगी से ईद मनाया करते थे। एक बार हज़रत मुहम्मद ईद के दिन सुबह-सवेरे फज्र की नमाज के बाद बाजार गए। रास्ते में आपको एक छोटा सा यतीम बच्चा रोता हुआ दिखाई दिया। हजरत मुहम्मद उसके पास गए तो बच्चे ने बताया कि आज ईद का दिन है और उसके पास नए कपड़े तक नहीं हैं। हजरत मुहम्मद बच्चे को घर ले आए। बच्चे से कहा हजरत आयशा उसकी मां और बेटी फातिमा उसकी बहन हैं, हुसनैन उसके भाई हैं।
बच्चे को नए कपड़े पहनाए और उसे खूब प्यार दिया ताकि उसे अकेलापन महसूस न हो। बच्चा मक्का की गलियों में दौड़ा और कहने लगा कि आज ईद का दिन है। आयशा उसकी मां, फातिमा उसकी बहन और हुसनैन उसके भाई हैं। सही मायनों में ईद का अर्थ यही है।
हिलाल-ए-ईद जो देखा तो ख्याल हुआ
उन्हें गले लगाए एक साल हुआ।
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