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बेहद फिल्मी है सरफराज खान की कहानी, बाप की इज्जत बचाने के लिए बने क्रिकेटर



2016 अंडर—19 विश्वकप में टीम इंडिया भले ही फाइनल मुकाबला हार गई हो, लेकिन एक बल्लेबाज था जिसकी शानदार बल्लेबाजी ने सबका दिल जीत लिया था, वो थे सरफराज़ खान. जिसने फिर आइपीएल में क्रिस गेल, विराट कोहली और एबीडिविलयर्स जैसे धुरंधर बल्लेबाजो के बीच उनकी एक अलग पहचान बनाई. महज़ 18 साल की उम्र में ही अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाले इस खिलाड़ी के संघर्ष की कहानी किसी बॉलीवुड फिल्म से कम नहीं है.

कोच पिता को इस खिलाड़ी ने दिया था ताना
सरफराज के पिता नौशाद एक क्रिकेट कोच है. वह कुछ समय पहले यूपी से खिलाड़ी को क्रिकेटर बनाने के लिए मुम्बई लायें और उसे ट्रेंनिंग दी. उनकी मेहनत कामयाब हुई और वो खिलाड़ी जल्द ही अंडर—19 और फिर आइपीएल में सेलेक्ट हो गया. लेकिन कामयाबी मिलने के बाद ये खिलाड़ी कोच नौशाद को भूल गया. एक बार जब नौशाद ने उससे मद्द मांगी तो उस खिलाड़ी ने उन्हे ताना मारकर कहा की उसकी सफलता मे उनका कोई योगदान नहीं है.

अपने पिता और भाई के साथ सरफराज़ खान । फोटो—गूगल से साभार

जब पिता को मिली चुनौती, दांव पर लगी इज्जत
उस खिलाड़ी ने सरफराज के पिता नौशाद को की ताना मारते हुए कहा कि "मेरे अंदर खेलने की क्षमता थी तब मैं खेला. इसमें तुम्हारा कोई रोल नहीं है, अगर तुम्हारे अंदर क्षमता है तो अपने बेटे को क्रिकेटर बना कर दिखाओ." उस खिलाड़ी की बात नौशाद को लग गई और उसी दिन उन्होंने अपने बेटे को क्रिकेटर बनाने की ठान ली. उन्होने अपने दोनो बेटे सरफराज और मुशीर को क्रिकेट की ट्रेंनिंग देना शूरू कर दिया.

भाई मुशीर के साथ क्रिकेट खेलते सरफराज़ । फोटो—गूगल से साभार
जब मेहनत रंग लाई
सरफराज और नौशाद की मेहनत रंग लाई और जल्दी ही सरफराज मुंबई के स्कूल क्रिकेट में नाम कमाने लगे. उन्होने अंडर—19 विश्वकप में शानदार प्रदर्शन किया. उसके बाद आइपीएल में भी अपनी छाप छोड़ी. वैसे सरफराज इन दिनो कोहली की बात मानकर अपनी फिटनेस को लेकर काम कर रहें है. उम्मीद है वे जल्द ही टीम इंडिया का हिस्सा होंगे.



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