अनारकली के नाम से तो आप रूबरू होंगे ही। अनारकली का जब भी नाम आता है तब सलीम,और बादशाह अकबर का नाम भी जेहन में कौंधने लगता है। और शायद कोई ही ऐसा बचा हो जो इन तीनो नाम के पीछे की कहानी से रूबरू न हो ।जिन्होने फिल्म 'मुगले आजम' देखी है वो इस रहस्य को जानते ही होंगें की अनारकली का क्या हुआ ।लेकिन फिर जिन्होने फिल्म नहीं देखी वे इस पोस्ट को ध्यान से पढे —


कौन थी अनारकली
अनारकली लाहौर मे रहने वाली पौराणिक दासी थी । जिसका असली नाम नादिरा था। नादिरा को अनारकली का खिताब बादशाह अकबर ने दिया था। लाहौर में एक मुजरे के बाद से वह बादशाह अकबर के बेटे शहजादे सलीम से मुहब्बत करने लगी थी। सलीम भी अनारकली से उतनी ही मुहब्बत करने लगे थे ।
 फिल्म मुगले आजम का एक दृश्य
 अकबर को नहीं था पसंद
लेकिन इन दोनो की मुहब्बत मुगल बादशाह अकबर को कतई पसंद नहीं थी । इस्लिये बादशाह अकबर ने अनारकली को काल कोठरी में बंद करवा दिया । जिसके बाद सलीम ने बगावत कर अनारकली को काल कोठरी से छुड़ा लिया । मुहब्बत की खातिर बाप बेटे में युद्ध हुआ । युद्ध में सलीम की हार हुई बादशाह अकबर ने दो शर्ते सामने रखी अनारकली का आत्मसमर्पण या मृत्यू दंड 

 फिल्म मुगले आजम का एक दृश्य
 ऐ मुहब्बत जिंदाबाद
अनारकली की खातिर सलीम अपनी मौत चुनता है। लेकिन अनारकली ऐसा नहीं होने देती और सलीम की जान बचाने के लिये वह बादशाह अकबर के समक्ष आत्मसमर्पण कर देती है। बादशाह अकबर अनारकली को दीवार में चिनवाने का हुक्म देते है। और अनारकली को दीवार में चिनवा दिया जाता है।
 फिल्म मुगले आजम का एक दृश्य
 कैसे जिंदा बची अनारकली
फिल्म मुगले आजम के आखिर में बादशाह अकबर का इंसाफ दिखाया गया है। एक बार बादशाह अकबर अनारकली की मां से वादा करते है की वो जिंदगी में एक बार जो मांगेगी , अता किया जायेगा । अनारकली की मां अनारकली की जिंदगी मांगती है।
     दरअसल जिस दीवार में अनारकली को चिनवाया जाता है उसी दीवार के नीचे से एक सुरंग गुजरती है। जिस के द्वारा बादशाह अकबर अनारकली और उसकी मां को मुगल सल्तनत की सरहदो से दूर भेज देते है । इस तरह से अनारकली जिंदा रह कर भी सलीम और दुनिया वालो की नजरे में सदा के लिये अमर हो जाती है।