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बॉलीवुड की 3 बेहतरीन रोमांटिक फिल्में जिनका अंत रूला देता है

एक कहावत है की अंत में सब कुछ अच्छा हो जाता है और अगर ऐसा ना हो तो समझो की पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त ...। बेशक हर पिक्चर के आखिर में सब कुछ ठीक हो जाता है जिसे हम हैप्पी एंडिग कहते है । लेकिन कभी कभी एडिंग हैप्पी नहीं होने के बावजूद पिक्चर समाप्त हो जाती है और हम उस एंड को पचा भी लेते है ।
हैप्पी एंडिंग को लेकर बॉलीवुड में बहुत सी फिल्में बनी है लेकिन कुछ फिल्में ऐसी भी रही है जिनका एंड हैप्पी नहीं रहा है । आंखो में नमी और कई सवाल पीछे छोड़ गया है । मंसूर खान द्वारा निर्देशित फिल्म कयामत से कयामत तक बिल्कुल ऐसी ही फिल्म है जिसका अंत आंखे नम करने वाला रहा है । ऐसी ही 3 फिल्में के बारे में हम आपको बताने जा रहें है जिनके आखिर में नायक — नायिका का मिलन हुऐ बगैर ही फिल्म का दी एंड हो गया ।
कयामत से कयामत तक
इस रोमांटिक हिंदी फिल्म में आमिर खान और जूही चावला की जोड़ी को तो काफी पसंद किया गया लेकिन फिल्म के दुखद अंत ने कइयों के आंखों में आंसू भी ला दिये । फिल्म के अंत में दोनो प्रेमियों की मौत हो जाती है जो रोमांटिक फिल्मों में सुखद अंत के बिल्कुल विपरीत था , बावजूद इसके फिल्म सुपरहिट रही ।

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मुगले आजम
निर्देशक के आसिफ की यह फिल्म मुगले आजम सलीम और अनारकली की प्रेमकहानी पर आधारित है । वैसे तो फिल्म का अंत पहले से ही सभी को पता था बावजूद इसके आंखे नम कर देता है । फिल्म के आखिर के अनारकली को दीवार में चुनवा दिया जाता है , हांलकी इस के पीछे का पूरा सच जानने के लिये आपको फिल्म देखनी होगी ।

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देवदास
वैसे इस फिल्म का निर्माण बॉलीवुड में तीन बार किया जा चुका है पहला 1936 में सहगल, दूसरा 1955 में दिलीप कुमार और तीसरा 2002 में शाहरुख खान देवदास का रोल प्ले कर चुके है । फिल्म का अंत दिल तोड़ देने वाला है , फिल्म के आखिर में देवदास पारो के घर के सामने दम तोड़ देता है ।

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